कलयुग का सबसे शक्तिशाली मंत्र

कलयुग का सबसे शक्तिशाली मंत्र

अक्सर हमारे मन में सवाल आता है कि कलयुग का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है तो इसका जवाब बहुत ही सरल है । दरअसल पुराणों में एक कथा है जिसमे ब्रह्मा जी बताते हैं कि कलयुग में 16 अक्षरों वाला हरे हरे राम महामंत्र ही सबसे शक्तिशाली मंत्र है । यह कथा कलिसंतरण उपनिषद में आती है जिसमे नारद जी ब्रह्मा जी से पूछते हैं कि कलयुग में जीवों का उद्धार कैसे होगा । नारद जी कलयुग के दोषों को देखकर सोचते हैं कि इस युग में जीव ना तो यज्ञ करता है ना ही तपस्या फिर ऐसे में इसका उद्धार भला कैसे होगा ।

ब्रह्मा जी कहते हैं कि कलयुग में भगवान का नाम उच्चारण करने से ही व्यक्ति के सारे दोष दूर हो जायेंगे । फिर नारद जी पूछते हैं कि वो कौन सा नाम है । ब्रह्मा जी कहते हैं कि यह 16 अक्षरों वाला हरे राम महामंत्र ही कलयुग का सबसे शक्तिशाली मंत्र है ।

नारद जी ने पूछा कि इसके जपने की क्या विधि है । ब्रह्मा जी ने कहा कि इसके जपने की कोई ख़ास विधि नहीं है वल्कि इसे कभी भी जपा जा सकता है । नहाते धोते, चलते फिरते या फिर उठते बैठते कभी भी यह कलयुग का सबसे शक्तिशाली मंत्र जपा जा सकता है । इस मंत्र को जपने की कोई विधि नहीं है और जैसे ही कोई व्यक्ति इस मंत्र को ३५०००००० बार जप लेता है तो उसके ब्रह्महत्या जैसे पापों का भी नाश हो जाता है ।

यहाँ तक की कर्तव्यों का त्याग करने वाला व्यक्ति भी इस मंत्र के जाप से पाप रहित हो जाता है । चोरी करने वाला, झूठ बोलने वाला, मदिरा पीने वाला भी इस मंत्र के जाप से परम पवित्र हो जाता है । यहाँ तक कि वाल्मीकि जी जिन्होंने ऋषियों के बालों से बैल गाड़ी भर दी थी । बाल्मीकि जी का नाम उस समय रत्नाकर था और उन्होंने इतने ब्रह्मऋषियों को मारा था कि उनसे राम नाम बोला नहीं जा रहा था । तब उल्टा नाम मरा मरा जप करके ही ब्रह्म के सामान हो गए ।

इस मंत्र का उल्लेख अग्नि पुराण में भी मिलता है और इसके साथ ही इस महामंत्र का उलेख अन्य जगहों पर भी किया गया है । इसी के साथ नारद जी खुद भी 16 अक्षरों वाले इस महामंते का जाप ही करते हैं । इसी के साथ बहुत से भक्त ऐसे हुए हैं जिन्होंने इस महामंत्र का जाप करके सिद्धि प्राप्त की है जैसे की ठाकुर हरिदास जिनकी भक्ति में विघ्न डालने के लिए कितने ही प्रयास किये गए लेकिन वे अपनी हक्ति पर ठीके रहे ।

ठाकुर हरिदास का जन्म मुसलमान कुल में हुआ था लेकिन बाद में वे चैतन्य महाप्रभु से जुड़ गए और हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करने लगे । महाप्रभु ने महामंत्र को थोड़ा सा बदल दिया और हरे राम राम की जगह हरे कृष्ण महामंत्र कर दिया । महाप्रभु के अनुयायी हरे कृष्ण महामंत्र का ही जप करते हैं ।

कलयुग का सबसे शक्तिशाली मंत्र कैसे जपना चाहिए

महाप्रभु का कहना है कि हरे कृष्ण महामंत्र को उच्च ध्वनि से जपना चाहिए जिससे जपने वाले का और सुनने वाले का दोनों का ही उद्धार हो सके । ठाकुर हरिदास जी का कहना है कि उच्च ध्वनि से जाप ज्यादा असरदार होता है क्यूंकि ऐसा करने से जप करने वाले और सुनने वाले दोनों का ही लाभ होता है । उच्च ध्वनि से जाप करने से छोटे छोटे जीव जंतु जैसे चीटी इत्यादि का भी उद्धार होता है ।

वहीँ कुछ लोगों का मानना यह भी है कि उच्च ध्वनि ने जाप करना उतना असरदार नहीं होता जितना मानसिक जाप होता है । मनुस्मृति में भी यह बताया गया है कि मानसिक जाप उच्च ध्वनि के जाप से कई गुना गुना अधिक प्रभावशाली होता है । गौड़ीय मठ वाले चैतन्य महाप्रभु के समर्थक हैं और ये उच्च ध्वनि से महामंत्र का जाप करते हैं वहीं कुछ दूसरी सम्प्रदाय वाले मानसिक जाप करते हैं ।

गौड़ीय वैष्णवों का मानना है कि यह महामंत्र आध्यात्मिक जगत से जीव का सम्बन्ध जोड़ता है । इस्कॉन के संस्थापकाचार्य स्वामी श्रील प्रभुपाद जी का कहना है कि यह महामंत्र हमारा संबंध भगवान कृष्ण से जोड़ता है और जो भी व्यक्ति इस हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करता है वह जन्म मरण से मुक्त हो जाता है ।

प्रभुपाद जी का कहना है कि कलयुग में हरे कृष्ण महामंत्र को उच्च ध्वनि से ही सर्वथा जपना चाहिए ।

कई महापुरुषों का कहना है कि महामंत्र को उच्च स्वर में जपना चाहिए क्यूंकि मन बहुत ही चंचल है और इसको किसी एक मंत्र पर एकाग्र करना बहुत ही मुश्किल होता है । लेकिन उच्च स्वर में जाप करना बहुत ही सरल होता है और इसमें अधिक प्रयास की आवश्यकता नहीं पड़ती । गोसामी तुलसीदास जी भी कहते हैं कि योगी भगवान के नाम का अपनी जीभ के द्वारा जाप करके जाग जाते हैं और ब्रह्म सुख का अनुभव करते हैं ।