दोस्तों, भगवान के साथ होने पर मिलते हैं यह 8 संकेत, मित्रों वैसे तो सुख दुख, लाभ हानि लाभ, यश अपयश जीवन के हिस्से हैं और और यह सब तो आते जाते ही रहते हैं लेकिन कुछ लोग अपने जीवन में इतने निराश हो जाते हैं कि उन्हें लगता है कि भगवान को उनकी कोई परवाह नहीं है। कुछ लोग यह सोचने लगते हैं कि भगवान है भी या नहीं।
लेकिन हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने जा रहे हैं 8 ऐसे संकेत जिनके बारे में हमारे शास्त्रों में बताया गया है और ऐसे संकेतों का मिलना इस बात का साक्षी है कि भगवान आप से प्रेम करते है। दरअसल भगवान अपना प्रेम सभी को अलग-अलग रूपों में दिखाते हैं। भागवत में वर्णन आता है कि पांडवों की माता कुंती भगवान से विपत्ति मांगती हैं। कुंती महारानी कहती हैं कि जब जब हम पर विपत्ति आई तब तक आप हमें बचाने के लिए उपस्थित थे लेकिन जब आपने हमें हमारा राज्य वापस जितवा दिया तो आप द्वारका जा रहे हैं। इससे अच्छा तो विपत्ति ही हमें दीजिए ताकि आप का साथ हमें प्राप्त होता रहे।
भगवान किसी को सुख देते हैं तो किसी को दुख देते हैं
इसी तरह जब पांडव भीष्म पितामह के पास जाते हैं तो भीष्म पितामह उनसे कहते हैं कि तुम पांचों बहुत ही शक्तिशाली हो और द्रोपदी तो यज्ञ से उत्पन्न हुई कन्या है जिसको यह वरदान है कि वह जिस घर में भी रहेगी वहां कभी भी भोजन की कमी नहीं रहेगी। फिर भी तुम लोगों को इतना दुख देखने को मिला, तुम्हारा राज्य छीन लिया गया और तुम्हें अन्याय से वन में भेज दिया गया। तुम्हें जलाकर मारने की कोशिश की गई और क्या-क्या षड्यंत्र तुम्हारे साथ नहीं किया गया। भगवान की लीला भगवान ही जाने, ना जाने भगवान अपना प्रेम किस को किस रूप में दिखाते हैं।
भगवान किसी को सुख देते हैं तो किसी को दुख देते हैं लेकिन कुछ भगवान के भक्त यह नहीं समझ पाते कि दुख भी भगवान की ही देन है और वह निराश हो जाते हैं। उन्हें यह शंका होने लगती है कि क्या भगवान को उनकी परवाह है? इस दुविधा को दूर करने के लिए हम शास्त्रों में वर्णित 8 ऐसे संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो यह बतलाते हैं की भगवान आपसे प्रेम करते हैं।
अगर भगवान आपसे प्रेम करते हैं तो आप जो कुछ भी करेंगे उसमें विफलता मिलेगी
पहला संकेत है कि अगर ईश्वर आपसे प्रेम करते हैं तो आप जो कुछ भी करेंगे उसमें विफलता मिलेगी। जी हां, आपको यह सुनकर अजीब जरूर लगेगा लेकिन भगवान का साथ जिनको मिलता है उन्हें विफलता जरूर मिलती है। आप बहुत मेहनत करेंगे, आप अच्छाई की राह पर चलेंगे फिर भी आपको विफलता ही मिलेगी और यह संकेत है कि भगवान आप से प्रेम करते हैं। आपको विफलता तब तक देखने को मिलेगी जब तक आप जीवन के सही उद्देश्य को समझ नहीं जाते।
दूसरा संकेत है कि जब भगवान की कृपा आप पर होगी तो आपको बिल्कुल अकेला महसूस होगा। आपके सामने ऐसी स्थिति आएगी जहां आपको समझ में नहीं आ रहा होगा कि आगे क्या करना चाहिए। आप को लगेगा कि इस स्थिति में मेरी मदद करने वाला कोई नहीं है। आप अपनी परेशानी किसी से बता नहीं पाओगे और अगर आप किसी को बताने में सफल हो भी गए तो भी आपकी परेशानी को कोई समझ नहीं पायेगा। वे कहेंगे कि यह परेशानी तो बहुत ही छोटी है, या तो वे इस पर ध्यान नहीं देंगे या वे इसे नजरअंदाज कर देंगे।
तीसरा संकेत जो है वह यह है कि भगवान की कृपा होने पर आपको दुख मिलेगा और आपको लगने लगेगा कि अब हमारे जीवन में इससे बुरा क्या हो सकता है। आप दुख की चरम सीमा को महसूस करेंगे। उदाहरण के तौर पर आप देख सकते हैं कि महान संतों के जीवन में क्या-क्या घटित हुआ।
जब आपके जीवन में बड़े बड़े दुख आने लगेंगे तो आपके मन में वैराग्य उत्पन्न हो जाएगा और आपका मन भौतिक सुखों से आगे बढ़कर भगवान को जानने के प्रयास में लग जाएगा। मनुष्य को इस समय हताश नहीं होना चाहिए क्योंकि यह दुख ही उनके मन में ईश्वर के प्रति प्रेम विकसित करने में सहायक होगा। यह उन्हें इस बात का एहसास करायेगा कि यह संसार दुखालय है और भगवान को प्राप्त करने में ही सार है।
चौथा संकेत है कि भगवान की कृपा होने पर आपकी सारी उम्मीदें टूट जाएंगी और ऐसा होने पर आपके अंदर एक नई ही खोज शुरू होगी। ऐसी खोज जिसमें आप अपनी कमियों को जानेंगे और अपनी विफलता का कारण ढूंढ लेंगे। आप खुद से सवाल करना शुरू कर देंगे और यही सवाल आपको अपने आप से जुड़ने में मदद करेंगे। यह जुड़ाव हीआपके जीवन में एक नया बदलाव लाता है।
भगवान के साथ होने पर आपके जीवन में बड़े बड़े दुख आने लगेंगे
तीसरा संकेत जो है वह यह है कि भगवान की कृपा होने पर आपको दुख मिलेगा और आपको लगने लगेगा कि अब हमारे जीवन में इससे बुरा क्या हो सकता है। आप दुख की चरम सीमा को महसूस करेंगे। उदाहरण के तौर पर आप देख सकते हैं कि महान संतों के जीवन में क्या-क्या घटित हुआ।
जब आपके जीवन में बड़े बड़े दुख आने लगेंगे तो आपके मन में वैराग्य उत्पन्न हो जाएगा और आपका मन भौतिक सुखों से आगे बढ़कर भगवान को जानने के प्रयास में लग जाएगा। मनुष्य को इस समय हताश नहीं होना चाहिए क्योंकि यह दुख ही उनके मन में ईश्वर के प्रति प्रेम विकसित करने में सहायक होगा। यह उन्हें इस बात का एहसास करायेगा कि यह संसार दुखालय है और भगवान को प्राप्त करने में ही सार है।
चौथा संकेत है कि भगवान की कृपा होने पर आपकी सारी उम्मीदें टूट जाएंगी और ऐसा होने पर आपके अंदर एक नई ही खोज शुरू होगी। ऐसी खोज जिसमें आप अपनी कमियों को जानेंगे और अपनी विफलता का कारण ढूंढ लेंगे। आप खुद से सवाल करना शुरू कर देंगे और यही सवाल आपको अपने आप से जुड़ने में मदद करेंगे। यह जुड़ाव हीआपके जीवन में एक नया बदलाव लाता है।
भगवान अगर आपके साथ हैं तो आपके चरित्र में बदलाव होने लगता है
पांचवा संकेत है कि भगवान अगर आपके साथ हैं तो आपके चरित्र में बदलाव होने लगता है। जब आप खुद से जुड़ते हैं और अपनी खामियों को जानते हैं तो आप इनमें सुधार करने का भी प्रयास करते हैं। इससे आप अपने आप को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।
आप पहले से अधिक शांत और स्थिर हो जाते हैं। जब भी हम भगवान की खोज करना शुरू करते हैं तो इससे हमारे अंदर बदलाव आना शुरू होते हैं और हम इस काबिल बनते हैं कि हम भगवान की और आगे बढ़ सकें।
छटा संकेत है कि आपका किसी भी चीज में हार और जीत से मन ऊपर उठ जाएगा। यह समय होगा जब आप पूरी तरह बदल चुके होंगे और आपका जीवन को देखने के नजरिए में परिवर्तन आ चुका होगा। आप हार और जीत से ऊपर उठ जाएंगे और किसी भी काम को लाभ और हानि का विचार किए बिना करेंगे।
इस तरह की स्थिति होने पर आप बाहर हो रही चीजों से विचलित नहीं होंगे और अपने अंतर्मन में ही स्थिर रहेंगे। आप भगवान में इतने खोए रहेंगे कि आपको बाहर सी मिल रहे दुख और सुख दोनो ही विचलित नहीं कर पाएंगे।
सातवां संकेत एक परीक्षा के रूप में होता है जब आप भगवान की भक्ति में संलग्न हो जाते हैं तो आपके जीवन में एक ऐसी स्थिति आती है जिसमें हर चीज आपको सहज ही प्राप्त होने लगती है।
सातवें संकेत में आपके पास सारे ऐश्वर्य अपने आप ही आने लगते हैं और आपको उसमे आसक्त होने से बचना होता है
आपको सारी चीजें जो संसार में प्राप्त करना मुश्किल है जैसे कि धन, ऐश्वर्या, मोक्ष इत्यादि सहज ही प्राप्त होने लगते हैं ऐसे में आपकी परीक्षा होती है कि आप इन चीजों से आसक्त ना हों और आपका मन भगवान में ही लगा रहे। अगर आप इस परीक्षा को पास कर जाते हैं तो आप आठवें संकेत की ओर बढ़ते हैं।
आठवें संकेत में आप भगवान से मिल सकते हैं और उनसे बात कर सकते हैं जैसे कि आप एक आम आदमी से इस वक्त करते हैं। इस संकेत के मिलने के बाद आपके मन में जरा भी संशय नहीं रह जाएगा कि भगवान आपके साथ हैं या नहीं क्योंकि आप हर समय भगवान के साथ रहेंगे।
दोस्तों यह थे विभिन्न शास्त्रों में दिए गए कुछ संकेत जिनके मिलने पर आप समझ सकते हैं कि भगवान आपसे प्रेम करते हैं। यह सब सुनने में अजीब जरूर लग रहे होंगे लेकिन इनका विवरण कुछ इसी प्रकार दिया गया है। भागवत के एक श्लोक में भगवान स्वयं कहते हैं कि में जिसपर कृपा करता हूं उसका धन हर लेता हूं। धन चले जाने से उसके सगे संबंधी उसे छोड़ देते हैं और वह तरह तरह के दुख पाता है। उम्मीद है आपको लेख ये संकेत पसंद आए होंगें। अंत तक बने रहने के लिए आपका शुक्रिया।
। जब आप खुद से जुड़ते हैं और अपनी खामियों को जानते हैं तो आप इनमें सुधार करने का भी प्रयास करते हैं। इससे आप अपने आप को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।