बकरा ईद क्यों मनाई जाती है | कुर्बानी के पीछे की कहानी

बकरा ईद क्यों मनाई जाती है

क्या आप जानते हैं कि बकरा ईद क्यों मनाई जाती है। इस दिन एस क्या हुआ था कि इस दिन मुसलमान कुर्बानी करते हैं। मुस्लिम धर्म के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद को तो आप जानते ही होंगे। एक दिन पैगंबर आराम फरमा रहे थे कि उन्हें एक सपना आया, सपने में अल्लाह ने उनसे कुर्बानी देने के लिए कहा।

पैगंबर ने अगले दिन 1000 ऊंटों की कुर्बानी दी लेकिन जैसे ही रात को सोए तो सपने में उन्हें दोबारा अल्लाह दिखाई दिए। इस बार अल्लाह ने आवाज दी कि पैगंबर तुम अपनी प्यारी चीज कुर्बान करो।

पैगंबर ने अगले दिन 200 ऊंटों की कुर्बानी दी लेकिन जैसे ही रात में सोने गए तो सपने में उन्हें फिर से अल्लाह की आवाज सुनाई दी। अल्लाह ने कहा कि पैगंबर तुम अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करो।

पैगंबर ने सोचा कि मेरी सबसे प्यारी चीज तो मेरा बेटा इस्माइल ही है। पैगंबर समझ गए कि अल्लाह उनके बेटे स्माइल की कुर्बानी चाहता है। अल्लाह देखना चाहते है कि पैगंबर को किस से अधिक प्रेम है, अपने बेटे से या अल्लाह से।

पैगंबर ने दी अपने बेटे स्माइल की कुर्बानी

पैगंबर ने अपनी पत्नी से कहा कि मेरे बेटे स्माइल को नए कपड़े पहना दो, इसे सजा कर तैयार कर दो मैं इसे इसके दोस्त के घर दावत पर लेकर जा रहा हूं। पैगंबर की पत्नी ने ऐसा ही किया। जब पैगंबर वहां से चले गए तो उनकी पत्नी के पास शैतान आया और उसने कहा कि क्या तुम्हें पता भी है कि तुम्हारे पति तुम्हारे बेटे को कहां लेकर जा रहे हैं। वे उसे किसी दावत पर नहीं बल्कि अल्लाह की राह से कुर्बान करने के लिए ले जा रहे हैं।

पैगंबर की पत्नी ने कहा कि तुम झूठ बोलते हो। सैतान ने कहा कि नहीं मैं सच कह रहा हूं, उनको ऐसा सपना आया था। यह सुनने के बाद पैगंबर की पत्नी ने कहा कि अगर मेरा बेटा अल्लाह की राह में कुर्बान होने जा रहा है तो ऐसे हजारों बच्चे में अल्लाह की राह में कुर्बान कर सकती हूं, एक की तो बात ही जाने दो।

यह सुनकर शैतान नाराज हो गया और फिर वह इस्माइल के पास गया। उसने स्माइल से कहा कि क्या तुम्हें पता भी है तुम्हारे पिताजी तुम्हें किसी दावत पर नहीं वल्कि अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए ले जा रहे हैं। इस्माइल ने कहा कि अगर मैं अल्लाह की राह में कुर्बान हो जाता हूं तो मुझसे अधिक खुशनसीब और कौन हो सकता है। सैतान यह सुनकर बौखला गया और फिर वह अपना काम बनवाने के लिए पैगंबर के पास गया।

उसने पैगंबर से कहा कि तुम अपने प्यारी बेटे की कुर्बानी क्यों देने जा रहे हो? क्या तुम्हें पता भी है कि यह कुर्बानी कबूल होगी भी या नहीं। पैगंबर ने शैतान को पत्थर मार कर भगा दिया और माना जाता है कि तभी से मक्का मदीना में शैतान को पत्थर मारने की परंपरा शुरू हुई।

शैतान तो वहां से चला गया लेकिन पैगंबर ने अपने बेटे को बता दिया कि मैं तुम्हें अल्लाह की राह पर कुर्बान करने के लिए ले जा रहा हूं। बेटे स्माइल ने कहा कि पिताजी इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है। स्माइल ने कहा कि पिताजी जब आप मेरी कुर्बानी देंगे तो आप मेरे हाथ पैर बांध देना और आप भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध लेना क्योंकि आप यह सब देख नहीं पाएंगे। कहीं आप करुणा के कारण कुर्बानी देने से विफल ना हो जाएं।

पैगंबर ने ऐसा ही किया और इसके बाद पैगंबर ने अपने हाथ में एक छुरी ली और इस्माइल की गर्दन काटना शुरू कर दिया। जब लहू बहने लगा तो उन्होंने अपनी आंख पर बंधी पट्टी को खोल कर देखा और पाया कि उनका बेटा इस्माइल जिंदा था। उसकी जगह पर एक मोटी पूछ वाला भेड़ कटा हुआ पड़ा था।

पैगंबर अपने इम्तिहान में पास हुए और अल्लाह ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी कुर्बानी को हमेशा याद रखा जाएगा और तभी से बकरा ईद के दिन कुर्बानी करने की प्रथा शुरू हुई।

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