शिव विवाह की कथा
सती जी की मृत्यु के बाद वे पार्वती के रूप में आईं और पार्वती माता तपस्या करने चलाई गईं । एक ताड़कासुर नाम का राक्षस पैदा हुआ जिसने शिव जी से अमरता का वरदान मांगा । उसने कहा कि यह वरदान दो की हम शंकर जी के पुत्र के हाथो ही मरे ।
तारकासुर ने सोचा कि ना शंकर जी का विवाह होगा और ना ही वो कभी मरेगा । ताड़कासुर का बाल बड़ गया तो वह देवताओं पर अत्याचार करने लगा जिसके बाद देवताओं ने शंकर जी से विवाह करने के लिए कहा ।
शंकर जी ने ना कर दिया जिसके बाद राम जी प्रकट हुए और उन्होंने शिव जी से विवाह करने के लिए कहा । शिव जी मान गए तो देवताओं ने बताया कि उन्होंने कन्या को पहले ही खोज लिया है जिसका नाम है पार्वती । देवता पार्वती जी की परीक्षा लेने गए तो और पार्वती जी से कहा कि आपका विवाह हम विष्णु जी से करा देंगे शिव जी तो शमशान में रहते हैं ।
पार्वती जी ने कहा कि वे शकर जी से विवाह करेंगी नहीं तो कुंवारी रहेंगी । शिव जी ही परीक्षा लेने के लिए गए और पार्वती जी से कहने लगे कि शंकर जी से विवाह मत करो तुम्हारा विवाह अच्छी जगह करा देंगे । पार्वती जी ने कहा कि वे शंकर जी से ही विवाह करेंगी ।
शंकर जी की बारात में देवता भी आये
शंकर जी अपने असली रूप में आ गए और विवाह के लिए हां कर दिया । सभी देवता भोले बाबा की बरात में जाने के लिए तैयार होने लगे और अपने अपने बहनों को तैयार करने लगे । भोले बाबा ऐसे ही बैठे थे तो देवताओं ने कहा कि आप थोड़ा श्रृंगार कर लो । शंकर जी ने कहा कि ऐसे ही अच्छे हैं ।
नंदी जी ने कुछ सांपों को पकड़ा और उनका सहरा बना दिया । शंकर जी ने नाग का सेहरा पहन कर बताया कि शादी में भले ही खुश रही लेकिन काल तो सिर पर बैठा ही है । इस तरह देवताओं ने भोले बाबा का श्रृंगार किया । नंदी जी ने भस्म इकट्ठी की और शंकर जी के ऊपर थोप दी ।
मृग चर्म शंकर जी को नंदी जी ने लपेट दी । नंदी जी ने एक सांप ढूंढ़ा और उसको शंकर जी की कमर से मृग चर्म के ऊपर से बांध दिया । भोले बाबा भी अपने आप को देख कर प्रसन्न हो गए ।
एक गड़बड़ यह हो गई कि सभी देवताओं ने सोचा कि पंगत पहले हो जाने दो और शंकर जी नंदी पर उल्टा बैठ गए । नंदी जी ने कहा कि सीधे बैठ जाओ शिव की ने कहा कि वे उल्टे बैठ कर ही जायेंगे । शंकर जी ने डमरू उठाई, बाकी सब नाचने लगे । नंदी नाचने लगे, नारद जी नाचने लगे ।
शंभू बाबा की बरात में सभी नाचने लगे । जो नाग भोले बाबा की कमर में बंधा था वह भी नाचने लगा । नंदी जी ने देखा कि कमर का नाग खिसक गया है तो वे नाग को खोजने लगे तो देखा कि नाग भी नाच रहा है । नंदी ने उसको पकड़कर दोबारा मृग चर्म से बांधकर शंकर जी की कमर से बांध दिया ।
शिव जी की बारात में कौन कौन आया
शंकर जी ने नंदी से कहा कि बरात में लोग कम हैं । नंदी जी ने कहा कि आप जिस हिसाब का भेष बनाकर रखे हैं उसमे यह कुशल है कि हम आपके साथ हैं नहीं तो कोई नहीं रहता बस आप अकेले ही रहते ।
नंदी ने आवाज दी हर हर महादेव भूत, पिसाच, चुड़ैल जो भी हों भोले बाबा की बरात में आ जाओ । भोले बाबा की बरात में विचित्र विचित्र प्रकार के भूत आए । कुछ बिना मुख के थे, कोई चार मुख वाले थे । एक भूत की आंखें पीछे की तरफ थीं । शंकर जी की बारात गजब की थी ।
भूत भले ही अलग अलग थे लेकिन सबमे इतना समाजस्य था कि लाइन में खड़े थे । इसके बाद शकर जी की बरात आगे चली, ऐरावत हाथी पर इंद्र आए, यमराज अपने काले भैंसे पर आए । नगर के निकट जब बरात आई तो नगर की सोभा बढ़ गई । सब अपनी आंखो से इस बारात को देख कर खुश हो गए ।
जैसे ही शिव जी की बरात आई तो वहां के बालकों ने देखा कि बरात में भूत, प्रीत, यक्ष, गंदर्भ आए हैं तो सभी बच्चे भाग कर अपने घर में चले गए । जब उनके घर वालों ने पूछा तो बच्चो ने कहा कि यह कोई बारात नहीं आई ये तो यमराज आए हैं, बारात में भूत ही भूत आए हैं ।
शंकर जी के विवाह में विचित्र प्रकार के भूत प्रेत आये
जब भोजन चालू हुए तो सभी पंगत में बैठ गए । पत्तल डालने वाला बड़ा परेशान क्योंकि किसी भूत का एक भी मुख नहीं किया के चार चार मुख अब पत्तल कहां डाले क्योंकि उसे पता नहीं कि भूत किस मुख से खाना खायेगा ।
वहीं पर शकर जी के पांच सिर हैं, शिव जी के पिता जी ब्रह्मा के पांच सिर हैं, शकर जी का एक पुत्र हुए जिनका नाम षडानन है जिनके 6 सिर हैं और शंकर जी के चेले रावण के 10 सिर थे । जब बरात दरवाजे तक पहुंची तो बेटी की मां आरती करने आईं । भूतों ने शंकर जी के कान में कहा कि सासू मां आईं ।
शंकर जी ने कहा कि किस लिए, कहा कि आरती करने आईं हैं । नारद जी ने कहा कि अब नंदी पर सीधे बैठ जाओ । शकंर जी पीछे की तरफ मुख करके इसलिए बैठे थे क्योंकि बारात में राम भगवान आए थे इसलिए वे पीछे की तरफ मुख करके राम भगवान को देख रहे थे ।
बहुत ही सुन्दर post