सबसे बड़ा भाग्यशाली कौन है

सबसे बड़ा भाग्यशाली कौन है

माता अहिल्या को गोस्वामी जी भाग्यशाली बता रहे हैं । गोस्वामी जी का कहना है कि बड़े ही भाग्य से मनुष्य का शरीर मिलता है क्योंकि मनुष्य शरीर को सभी ग्रंथों में मनुष्य शरीर को बड़ा ही दुर्लभ बताया गया है ।

गोस्वामी जी रामचरित मानस में बताते हैं कि उससे भी ज्यादा भाग्य से भगवान की कथा और सत्संग मिलता है । कथा सुनने वाला बड़ा भयशाली है लेकिन जो भगवान की सेवा करते हैं इस लोग अति बड़े भाग्यशाली हैं ऐसा गोस्वामी जी का कहना है ।

जो भगवान की पूजा करके प्रसन्न होते हैं वो अति बड़ भागी हैं जिन भगवान जिनको देखकर खुश होते हैं वे कौन हैं । जो भगवान के सेवा करके ऊपर जाते हैं वे बड़े भाग्यशाली हैं लेकिन जिनके लिए भगवान पृथ्वी पर अवतार लेते हैं कौन हैं । गोस्वामी जी का कहना है कि इस लोग अतिशय भाग्यशाली हैं ।

गोस्वामी जी कहते हैं कि जो भगवान के लिए अपने प्राण त्याग दें वो परम बड़ भागी हैं । परम बड़ भागी हैं जटायु जी जिन्होंने भगवान के लिए अपने प्राण त्याग दिए । फिर हनुमान जी कौन हैं, गोस्वामी जी कहते हैं कि हनुमान जी के समान बड़ भागी कोई नहीं है । हनुमान जी के जैसा राम जी चरणों का अनुरागी और कोई नहीं ।

हनुमान जी को सबसे बड़ा भाग्यशाली बतया गया है

राम जी जब रावण को मारकर वापिस अयोध्या आए तो सभी बंदरों से कह दिया कि वापिस चले जाओ । सब बोले हनुमान जी को वापिस जाने के लिए कहिए । राम जी ने कहा कि हनुमान जी का घर यही है । सब बंदर जाने लगे लेकिन हनुमान जी नहीं गए ।

जहां कहीं भी राम कथा होती है वहां हनुमान जी अनेक रूप बनाकर पहुंच जाते हैं । हनुमान जी अयोध्या में ही रुक गए और कहने लगे कि राम जी के चरणों को छोड़ कर कहां जाएं । सभी हनुमान जी से डरते थे और हनुमान जी कभी राम जी को छोड़ कर जाते नहीं थे ।

सब अयोध्या वासियों को राम जी के पास आने नहीं मिल पा रहा था । उन्होंने सीता जी से कहा कि इनसे जाने के लिए कहो । सीता जी ने कहा कि हनुमान जी ने अशोक वाटिका में हमारी मदद की थी ।

इसी तरह लक्ष्मण जी ने भी कह दिया कि संजीवनी बूटी लाकर इन्होंने हमारे प्राण बचाए थे इसलिए हम नहीं कह सकते इन्हें जाने को । भरत जी ने भी कहा कि जब हम चिता में जलने जा रहे थे तभी हनुमान जी ने हमें राम की के आने की खबर दी थे इसलिए हम भी नहीं कह सकते । इसके बाद शत्रुघ्न से कहा कि इनसे जाने के लिए कहो । शत्रुघ्न जी बोले हम पूरी रामायण में कभी बोले ही नहीं इसलिए अब क्यों बोलें ।

अयोध्या से सब चले गए लेकिन हनुमान जे क्यों नहीं गए

इसके बाद सभी अयोध्या वासी मिलकर राम जी के पास आए और कहने लगे कि आपने अंगद जी को युवराज बनाया, विभीषण जी को राजा बनाया अब हनुमान जी को भी कुछ देकर विदा कीजिए ।

राम जी ने कहा कि उनका ऋण कभी चूक नहीं सकता लिकन आप सब कह रहे हैं तो हम उनसे पूछ लेते हैं कि इन्हें क्या चाहिए । हनुमान जी से राम जी पूछा कि क्या चाहिए तो हनुमान जी बोले आपके दोनो चरण कमल ही मुझे हमेशा के लिए चाहिए । इसलिए गोस्वामी जी ने कहा कि हनुमान जी के समान भाग्यशाली और राम जी के चरणों का अनुरागी और कोई नहीं ।

इसके बाद अयोध्या के लोगों ने सोचा कि अब हनुमान जी को वापिस कैसे भेजा जाए । इसके बाद जानकी जी ने हनुमान जी से कहा कि हनुमान जी आपको आज ने बाद राम जी के निकट नहीं जाना है । जब भी राम जी को जमाई आए तो चुटकी बजाने की सेवा आपकी । हनुमान जी यह सेवा करने लगे ।

रात के समय जब राम भगवान सोने की लिए चले गए तो हनुमान जी महल के ऊपर बैठकर चुटकी बजाने लगे । भगवान को लगा कि हनुमान जी चुटकी बजा रहे इसलिए हमें जमाई आनी चाहिए । राम जी मुंह खोलकर लेट गए, जानकी जी ने सोचा कि भगवान को कोई रोग तो नही हो गया । वसिष्ठ जी आए तो उन्होंने हनुमान जी को बुलाया ।

हनुमान जी जैसे ही आए और चुटकी बजाना बंद किया राम जी ने मुंह बंद कर लिया । इसलिए गोस्वामी जी ने कहा कि हनुमान जी के समान भाग्यशाली और राम भगवान के चरणों का अनुरागी और कोई नहीं ।

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