रामायण
रामायण का सबसे ज्यादा प्रचलित प्रकाशन गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस है । सबसे पहले जिस रामायण को लिखा गया था वो बाल्मीकी रामायण है । कुछ ऐसी कथाएं हैं जो बाल्मिकी रामायण में हैं लेकिन रामचरित मानस में नहीं और कुछ ऐसी कथाएं हैं जो रामचरित मानस में हैं लेकिन बाल्मिकी रामायण में नहीं हैं ।
ऐसा कल्प के अंतर से होता है । किसी कल्प में भगवान किसी तरह लीला करते हैं और किसी और कल्प में किसी और तरह । लेकिन भगवान के गुण, नाम, रूप, लीला में कोई अंतर नहीं है । इस लेख में हम वाल्मिकी रामायण की कहानी बतला रहे हैं ।
श्री राम कथा की कथा सुनने के लाभ
भगवान इस संसार में अपनी अहेतुकी कृपा के कारण अवतार लेते हैं ताकि इस संसार के लोगों का मन भगवान में लगे और वे भगवान के धाम लौट सकें । सामान्य तौर पर लोगों को संसारी लोगों के बारे में सुनना बहुत पसंद होता है । संसार के लोगों के बारे में सुनने से हमारा वास्तविक फायदा नहीं होता है ।
वहीं भगवान राम की कथा सुनने से बहुत बड़ा वास्तविक लाभ व्यक्ति को मिलता है । भगवान की लीला दिव्य होती है । भगवान की कथा सुनने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतरों के सभी पाप खत्म हो जाते हैं । भगवान की कथा सुनने से व्यक्ति का भगवान के साथ सीधा संपर्क होता है ।
नियमित रूप से भगवान की कथा सुनने से व्यक्ति भगवान के धाम जाने के लिए योग्य बन जाता है । भगवान की कथा सुनने से हृदय में जमे क्लेश जैसे काम, क्रोध, लोभ मोह इत्यादि धुल जाते हैं । जब भगवान की लीलाओं को सुनने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं तो उसकी भगवान से आसक्ति हो जाती है ।
भगवान राम कौन हैं
भगवान राम कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं । वे कोई अत्यंत महान मनुष्य भी नहीं हैं । भगवान राम मनुष्य ही नहीं हैं । श्री राम सर्वश्रेष्ठ पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं । श्री राम अनंत ब्रह्मण्डों के श्रोत, उनके पालनकर्ता और नियंत्रक हैं । परमात्मा के रूप में सभी जीवों के हृदय में उनका वास है और वे भूत, भविष्य और वर्तमान को जानने वाले हैं ।
भगवान श्री राम 6 ऐश्वर्यों से युक्त हैं । भगवान श्री राम अपने लोक में निवास करते हैं । उनके साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, उनके परम भक्त हनुमान और सहचर निवास करते हैं । भगवान समय समय पर इस भौतिक प्रकृति में अवतरित होते हैं ।
भगवान श्रीमद्भगवद गीता में बताते हैं कि जब जब और जहां जहां अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब तब भगवान अवतार लेते हैं । भगवान भक्तों का उद्धार करने और दुष्ट लोगों का विनाश करने के लिए युग युग में अवतार लेते हैं ।
भगवान 6 ऐश्वर्य से युक्त हैं यानि वे संपूर्ण यश, शक्ति, सौंदर्य, वैराग्य, संपत्ति और ज्ञान से युक्त हैं । भगवान राम त्रेता युग में अवतरित हुए थे । ब्रह्मा जी के 1 दिन में भगवान श्री राम 1 बार अवतार लेते हैं ।
ब्रह्मा जी के 1 दिन में 1000 चतुर्युग होते हैं यानि सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग सभी ब्राह्म जी के 1 दिन में 1000 बार बीत जाते हैं । प्रभु श्री राम 1000 त्रेता युगों में से किसी एक त्रेता युग में होता है ।
भगवान श्री राम का अवतार 24 वें त्रेता युग में हुआ था । अभी हम 28 वें कलयुग में जी रहे हैं ।
नारद मुनि द्वारा प्रभु श्री राम का गुणगान
एक दिन जब वाल्मीकि जी भगवान राम का गुण गान कर रहे थे तभी वहां पर नारद मुनि आ गए ।
नारद मुनि को देखकर वाल्मीकि जी और उनके शिष्यों ने उनको प्रणाम करके विनम्रता पूर्वक बैठने के लिए आसन दिया । उसके बाद वाल्मीकि जी ने नारद मुनि से पूछा कि वर्तमान समय में पृथ्वी पर कौन हैं जो सबसे ज्यादा ऐश्वर्यशाली हैं । जो सबसे ज्यादा सुसंस्कृत, सत्यवादी और कृतज्ञ हैं ।
कौन हैं जिनका चरित्र निर्दोष है, जो जीव के कल्याण में व्यस्त हैं । कौन हैं जो सबसे अधिक सुन्दर हैं । जिनके समक्ष क्रोध और द्वेष नहीं आते लेकिन जो क्रोधित होने पर बड़े बड़े देवताओं को भी भयभीत कर देते हैं । किसे भाग्य की देवी ने सभी आशीर्वाद दिए हैं ।
वाल्मिकी जी को लता था कि नारद मुनि तीनो लोकों में घूमते रहते हैं इसलिए वे इस सवाल का जवाब दे सकते हैं । नारद मुनि ने कहा कि राम नाम के एक महान राजा हैं जो इक्ष्वाकु के कुल में अवतरित हुए हैं । राम अपनी इन्द्रियों को नियंत्रित करने वाले और असंख्य शक्तियों के स्वामी हैं ।
महापुरुषों के सभी लक्षण भगवान श्री राम में उपस्थित हैं । उनकी छाती चौड़ी है । सुशोभित ललाट, शक्तिशाली जबड़े और उनके नेत्र विशाल हैं । उनकी आँखें कमल के जैसी हैं । उनका आचार व्यवहार गंभीर है । भगवान राम का चरित्र विशेष रूप से पवित्र है इसलिए उनकी लीला सुनने से सभी लोग पवित्र होते हैं ।
प्रभु श्री राम शरणागतों के आश्रय हैं
साथ ही साथ वे सभी शत्रुओं के संघारक और शरणागतों के आश्रय हैं । भगवान राम वेदों के ज्ञाता और युद्ध कला में निपुण हैं । उनकी बुद्धि अचूक है और वे कभी कुछ नहीं भूलते । भगवान श्री राम का स्मरण करने से लोगों की स्मरण शक्ति बढ़ती है । श्री राम का ज्ञान असीमित है ।
वे शत्रुओं और मित्रों में भेदभाव नहीं करते हैं । हमारे मन में यह सवाल आता है कि फिर भगवान ने रावण का संघार क्यों किया । अगर कोई भक्ति करता है तो भगवान उसकी रक्षा करते हैं और जो धर्म विरुद्ध कार्य करता है उसका वे संघार करते हैं । शक्ति में वे भगवान विष्णु के सामान हैं ।
सहनशीलता में वे पृथ्वी के समान हैं । ऐश्वर्य में कुबेर के सामान हैं । इसके बाद नारद मुनि ने वाल्मीकि जी को रामायण सुनाई । नारद मुनि ने बताया कि भगवान राम के राज्य में हर एक व्यक्ति सुखी एवं समृद्ध रहेगा ।
सभी ग्रामों में प्रचुर मात्र में धन, अनाज और दूध इत्यादि मौजूद रहेंगे । भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाएं नहीं रहेंगी । नारद मुनि वाल्मीकि जी को उत्तर देने के बाद चले गए ।