पत्नी के लिए अपने पति का कौन सा अंग सबसे महत्त्वपूर्ण होता है

एक कहानी के माधयम से जानते हैं कि पत्नी के लिए अपने पति का कौन सा अंग सबसे महत्त्वपूर्ण होता है

दोस्तो क्या आप जानतें हैं कि शादीशुदा पत्नी के लिए अपने पति का कौन सा अंग सबसे महत्त्वपूर्ण होता है? हम आपको एक कहानी के माध्यम से यह बतलाने का प्रयास करेंगे। कंचन पारोली राज में निसाधरेश नाम का एक शक्तिशाली राजा रहता था। राजा के यहां संतान नहीं हुई थी इसलिए उसने देवी से मन्नत मांगी कि अगर उसके यहां कोई संतान हो जाएगी तो वह अपने राज्य में देवी का 1 विशाल मंदिर बनवाएगा। 

राजा की मनोकामना पूरी हो गई और उसने देवी का एक बहुत ही विशाल मंदिर अपने राज्य में बनवा दिया। राजा ने मंदिर को ऐसी जगह बनवाया जिससे राज्य में आने जाने वाले हर व्यक्ति को उस मंदिर से गुजरना पड़ता था। राजा के राज्य में सब कुछ ठीक चलने लगा और सभी लोग उसके राज्य में देवी की पूजा करने लगे।

देवी की कृपा से वहां के लोगों की मनोकामना पूरी होने लगी। एक दिन अचानक राजा की तबीयत खराब हुई और लगातार बिगड़ती ही चली गई। जब राजा का अंतिम समय आया तो उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि बेटा हमारे राज्य के मंत्री तुम्हारे पिता की तरह ही हैं और मेरे जाने के बाद तुम सदा इनकी बात मानना। 

राजा के मर जाने के बाद उसके बेटे को राजा बना दिया गया। राजा का बेटा मंत्री की आज्ञा के बिना कुछ भी नहीं करता था। अपने पिता की कही बात उसे याद थी इसलिए वह हर छोटे-बड़े काम में मंत्री की सलाह जरूर लेता था। एक दिन राजा के बेटी को अपने राज्य में एक कमरा दिखाई दिया जिसे देखकर ऐसा लगता था कि वह सदियों से बंद पड़ा है।

राजा के बेटे ने कहा कि वह सिंघल देश की राजकुमारी से विवाह करना चाहता है, मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता

राजा के बेटे ने मंत्री से कहा कि दरवाजे को खोला जाए। मंत्री ने कहा कि नहीं बेटा इस दरवाजे को खोला नहीं जा सकता यह बहुत समय से बंद है। मंत्री के बेटे ने कहा कि पिताजी इस राज्य में अब जो कुछ भी है वह राजा के बेटे का ही है । अब ये हमारे नए राजा हैं इसलिए आपको इन्हें वह कमरा खोलकर जरूर दिखा देना चाहिए। अपने बेटे की बात मानकर मंत्री ने वो दरवाजा खोल दिया।

राजा के बेटे ने अंदर जाकर देखा कि उस कमरे में बहुत सारी कन्याओं की तस्वीरें दीवालों पर टंगी हुई थीं। राजा का बेटा सभी तस्वीरों को देखता रहा लेकिन एक तस्वीर पर आकर रुक गया। उसने मंत्री से पूछा कि यह तस्वीर किसकी है, मंत्री ने बताया कि यह सिंघल देश के राजा की पुत्री मचला हैं। 

राजा के बेटे ने कहा कि वह सिंघल देश की राजकुमारी से विवाह करना चाहता है। मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, राजा के बेटे पर जवानी का बुखार चढ़ा हुआ था इसलिए उसने किसी की बात नहीं मानी। मंत्री ने कहा कि सिंघल देश जाना कोई आसान बात नहीं है। वह देश 7 समुद्रों से घिरा हुआ है और अगर तुम वहां पहुंच भी गए तो राजा की पुत्री से मिलना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा।

राजा का बेटा नहीं माना, उसने मंत्री के बेटे को साथ लिया और सिंघल देश की ओर चल पड़ा। अभी वह जानता तो था नहीं कि सिंघल देशे कहां है इसलिए सभी से पूछते हुए आगे बढ़ता चला जा रहा था। चलते चलते रात हो गई और मंत्री का बेटा बहुत बुरी तरह थक गया इसलिए उन दोनों ने आराम करने का फैसला किया।

राजा के बेटे को मिला सिंघल देश जाने के लिए उड़ने वाला विमान

जैसे ही वे दोनो आराम करने के लिए लेटे तो उन्होंने देखा कि आसमान से एक विमान उनकी तरफ चला रहा है। आसमान से परियां गुजर रही थीं और उनमें से एक परि राजा के बेटे पर मोहित हो गई। परि ने राजा के बेटे से आकर कहा कि तुम मुझसे विवाह कर लो। राजा के बेटे ने कहा कि अभी मैं एक बहुत जरूरी उद्देश्य से जा रहा हूं। जब तक मेरा वह उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकता। 

परि ने कहा कि क्या उद्देश्य है तुम्हारा। राजा के बेटे ने कहा कि मैं सिंघल देश की राजकुमारी से विवाह करने के लिए जा रहा हूं। परि ने कहा कि यह आसान नहीं होगा। सिंगल देश पहुंचने के लिए तुम्हें किसी देवीय शक्ति की मदद लेनी पड़ेगी। अगर तुम मुझसे वादा करो कि वापिस लौटने के बाद तुम मुझसे विवाह करोगे तो मैं तुम्हें सिंगल देश पहुंचा सकती हूं। राजा के बेटे ने परि से विवाह करने का वादा किया और परि ने बदले में उसे अपना उड़ने वाला विमान दे दिया। 

परि ने कहा कि इस विमान से तुम उड़कर सीधे सिंगलदीप जा सकते हो। परी ने राजकुमार को एक अंगूठी भी दी और कहा कि जब तक यह तुम्हारे हाथ में रहेगी तब तक तुम्हारे ऊपर कोई आपत्ति नहीं आएगी। राजकुमार का बेटा मंत्री के बेटे को लेकर विमान की मदद से उड़कर सिंगल देश पहुंच गया।

सिंगल दीप पहुंचकर दोनों बहुत बुरी तरह थक गए। राजा के बेटे ने देखा कि पास में ही एक बुढ़िया का मकान है। उसने सोचा कि इस बुढ़िया के यहां जाकर जलपान कर लिया जाए और साथ ही राजकुमारी के बारे में बात भी हो जाएगी।

एक जादूगर बुढ़िया ने राजकुमार को शादी से पहले ही मक्खी बनाकर दीवाल से चिपका दिया

राजकुमार को पता नहीं था कि वह बुढ़िया एक जादूगरनी थी। जो भी राजकुमार राजकुमारी से विवाह करने के लिए सिंघल देश आता था वह बुढ़िया उसे अपने जादू से मक्खी बनाकर दीवाल पर चिपका देती थी इसलिए अभी तक कोई भी राजकुमार राजकुमारी मचला तक नहीं पहुंच पाया था।

राजा का बेटा बहुत भोला था लेकिन मंत्री के बेटे को उस बुढ़िया पर शक हो गया। मंत्री के बेटे ने राजकुमार से कहा कि तुम जाकर भोजन कर लो तब तक मैं यहीं रुकता हूं। राजा का बेटा जैसे ही बुढ़िया के पास गया उसने राजकुमार पर मंत्र चलाकर उसे मक्खी बनाने की कोशिश की। लेकिन बुढ़िया का कोई भी जादू राजकुमार पर असर नहीं किया।

बुढ़िया समझ गई कि जरूर इक्के पास कोई देवी शक्ति है जिसकी वजह से मेरा मजबूत जादू इस पर काम नहीं कर रहा। कुछ समय बाद बुढ़िया ने एक बार फिर राजकुमार पर जादू करना चाहा लेकिन वह कामयाब नहीं रही। लेकिन इस बार उसे समझ में आ गया कि राजकुमार के हाथ में परी के द्वारा दी गई अंगूठी है और उसी के कारण उस पर कोई जादू काम नहीं कर रहा। 

बुढ़िया ने बहुत ही मीठी मीठी बातें करना चालू कर दिया। उसने राजकुमार से कहा कि मेरा कोई भी बेटा नहीं इसलिए तुम आए तो मुझे बहुत अच्छा लगा। इस तरह मीठी बातें करते हुए बुढ़िया ने कहा कि मेरा एक बेटा था और वह बिलकुल तुम्हारी तरह ही दिखता था। इसलिए बेटा तुम मेरे गले लग जाओ। जैसे ही राजकुमार बुढ़िया के गले लगा उसने राजकुमार के हाथ से अंगूठी निकाल ली।

राजकुमार के मित्र ने परियों की मदद से राजकुमार को दोबारा इंसान बनाया और राजकुमार विवाह करने के लिए फिर चल पड़ा

अंगूठी निकालते ही बुढ़िया ने जादू करके राजकुमार को मक्खी बनाकर दीवाल से चिपका दिया। जब बहुत समय तक राजकुमार नहीं आया तो मंत्री का बेटा समझ गया कि जरूर बुढ़िया ने उसके साथ कुछ किया है। मंत्री का बेटा चालाक था उसने सोचा कि अगर मैं बुढ़िया के पास जाऊंगा वह मुझे भी कुछ कर देगी इसलिए वह वापस उन परियों के पास पहुंचा जिन्होंने राजकुमार को अंगूठी और उड़ने वाला विमान दिया था।

मंत्री के बेटे ने राजकुमार के गायब होने की खबर या परी को दी जो राजकुमार पर मोहित हो गई थी। वह परि बहुत चिंतित हो गई और उसने कोई हल निकालने का फैसला किया। परि ने जादू करके पता किया कि उस बुढ़िया के प्राण एक चिड़िया के अंदर हैं।

परि ने मंत्री के बेटे को बताया कि समुद्रों के बीच एक द्वीप है जिसमें एक बहुत ही खतरनाक जंगल है जो बहुत ही विशालकाय वृक्षों, कटीली झाड़ियों, और हिंसक पशुओं से भरा पड़ा है। वन के बीचोंबीच एक पिंजरा है जिसमें एक चिड़िया है। उस चिड़िया में ही बुढ़िया के प्राण है, अगर तुम जाकर उस चिड़िया को मार दो तो वह बुढ़िया भी मर जाएगी और फिर राजकुमार ठीक हो जाएगा।

मंत्री का बेटा उड़ने वाले विमान पर बैठकर उस पिंजरे को ले आया और उसने उसके अंदर बैठी चिड़िया को मार दिया। उसने जैसे ही चिड़ियों को मारा वैसे ही वह बुढ़िया भी मर गई। बुढ़िया के मरते ही उसका जादू बेअसर हो गया और उसने जितने भी राजकुमारों को मक्खी बनाकर दीवाल पर चिपकाया था वह सब वापिस इंसान बन गए। 

राजा के बेटे ने विवाह के तुरंत बाद क्यों काट दिया अपना ही सिर

उन सभी ने मंत्री के बेटे का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तुम्हारी बड़ी मेहरबानी जो हम ना जाने कब से इस जगह पर मक्खी बने चिपके हुए थे और तुमने आकर हमें बचा लिया।

उसके बाद राजकुमार ने जाकर राजकुमारी मचला से विवाह कर लिया। राजकुमार ने किसी को भी यह नहीं बताया था उसने सिंगल देश जाने से पहले देवी से मन्नत मांगी थी। उसने मन्नत में कहा था कि अगर में मचला से शादी करने में सफल रहता हूं तो में देवी को अपनी बलि चढ़ा दूंगा। जैसे ही राजा का बेटा अपनी पत्नी और मंत्री के बेटे के साथ अपने राज्य में वापिस आया वह अकेले ही देवी के मंदिर के अंदर चला गया और उसने अपना सिर काट कर देवी को चढ़ा दिया। 

जब कुछ समय तक राजा का बेटा नहीं आया तो मंत्री के बेटे ने अंदर जाकर देखा और पाया कि राजा का बेटा मरा पड़ा है। मंत्री के बेटे ने सोचा कि जमाना बड़ा खराब है, कोई यह नहीं मानेगा कि राजा के बेटे ने खुद ही अपने आप का गला काटा है। बल्कि सभी यही सोचेंगे कि मंत्री का बेटा मचला को देखकर मोहित हो गया और उसने अपने ही मित्र का गला काट दिया। मंत्री के बेटे ने सोचा कि इस कलंक से बचने के लिए में अपना ही गला काट देता हूं। 

कुछ समय बाद जब दोनो वालिस नहीं आए तो राजकुमारी ने अंदर जाकर देखा और पाया कि दोनो मारे पड़े हैं। राजकुमारी ने सोचा कि सब यही सोचेंगे कि जरूर इसका किसी पर पुरुष से संबंध रहा होगा इसलिए उसने अपने पति और उसके मित्र को मार डाला। राजकुमारी ने सोचा कि इस कलंक से बचने के लिए मैं भी अपनी जान दे देती हूं। राजकुमारी ने जैसे ही अपना गला काटने के लिए तलवार उठाई देवी प्रकट हो गईं। 

पत्नी के लिए अपने पति का सिर सबसे महत्त्वपूर्ण होता है

देवी ने कहा कि पुत्री ऐसा मत करो मैं तुम्हारे पति को और उसके मित्र को जीवित किए देती हूं तुम बस आई के धड़ को और सिर को आपस में मिला दो बाकी मैं इनको जिंदा किए देती हूं। राजकुमारी ने जल्दी जल्दी में एक सिर दूसरे के धड़ से और दूसरे का सिर पहले के धड़ से मिला दिया। देवी ने भी जल्दी से दोनों को जिंदा कर दिया। जिंदा हो जाने के बाद राजकुमारी ने देखा कि मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई है। अब तो वह असमंजस में पड़ गई कि वह किस को अपना पति माने। 

फैसला करने के लिए तीनो अंग देश के राजा के पास पहुंचे। अंग देश के राजा ने तीनों को समझाया कि जिस तरह नदियों में सबसे श्रेष्ठ गंगा को माना जाता है, पर्वतों में सबसे श्रेष्ठ सुमेरु पर्वत को माना जाता है, नागों में सर्वश्रेष्ठ वासुकी नाग को माना जाता है, पक्षियों में श्रेष्ठ गरुड़ को माना जाता है उसी तरह शरीर में श्रेष्ठ सिर को माना जाता है। 

अगर सिर जिंदा न रहे तो व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता। एक हाथ, एक पैर या दोनों हाथ अथवा दोनों पैरों के बगैर भी आदमी जीवित रह सकता है लेकिन सिर के बगैर आदमी जीवित नहीं रह सकता। इसलिए शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग सिर ही होता है। इसलिए राजकुमारी को उसी को अपना पति मानना चाहिए जिस पर उसके पति का सिर मौजूद रहे। इस तरह राजकुमारी ने मंत्री के बेटे को अपना पति मान लिया और राजा के बेटे ने परि से शादी कर ली।

एक ऐसा गाँव जहाँ किसी की मृत्यु नहीं होती। ज्ञानगंज मठ