नरक कौन जाता है, किस पाप के कारण नरक जाना पड़ता है

नरक कौन जाता है

जो मांस खाता है क्रूर स्वाभाव वाला होता है । शास्त्र के अध्ययन से रहित । पराई स्त्री का अपहरण करने वाला नरक जाता है । शास्त्र में शंसय करने वाला और वेद कर्म का त्याग करने वाला वैतरणी नदी में गिरता है ।

झूठी गवाही देने वाला धर्म पालन न करने वाला । चोरी द्वारा आजीविका चलाने वाला । बहुत ज्यादा पेड़ों को काटने वाला, पत्नी का परित्याग करने वाला, विधवा के शील को नष्ट करने वाला और स्त्री जो अपने पति को दोष लगाकर पर पुरुष में आसक्त होती है । ये सभी शाल्मली वृक्ष द्वारा बहुत यातना प्राप्त करते हैं और जब यमदूतों द्वारा पीटे जाने पर ये नीचे गिर जाते हैं तो यमदूत इनको उठाकर नरकों में पहुंचा देते हैं ।

जो व्यक्ति तालाब, देवालय, सार्वजनिक स्थान को नष्ट कर देता है जैसे कि धर्मशाला इत्यादि वह निश्चय ही नरक में जाता है ।

जो सार्वजनिक मार्ग को लकड़ियों से, पत्थरों से, या काँटों से रोकते हैं वे भी नरक जाते हैं ।

दासी को अपनी सैया पर आरोपित करने से ब्राह्मण अधोगति को प्राप्त होता है उससे संतान प्राप्त करने पर वह अपने ब्राह्मणत्व से च्युत हो जाता है । वह ब्राह्मण कभी भी नमस्कार करने की योग्यता नहीं रखता और जो प्राणी ऐसे ब्राह्मणों की पूजा करते हैं वे नरक जाते हैं ।

दूसरों के दुःख में प्रसन्न होने वाला, जो मनुष्य ब्राह्मण और गायों की लड़ाई को नहीं रुकवाता अथवा उस लड़ाई का समर्थन करता है वह नरक जाता है ।

इस प्रकार पापियों को बहुत सी यातना दी जाती हैं

जो हथियार बनता है और उनका वितरण करता है वह नरकगामी होता है । मदिरा पीने वाला व्यक्ति और वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्री नरक जाते हैं । जो अनाथ के ऊपर कृपा नहीं करते करते हैं अपराधी को दंड देते हैं वे भी नरक जाते हैं । घर पर आए हुए ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराने वाला निश्चय ही नरक जाता है ।इस प्रकार पापियों को बहुत सी यातना दी जाती हैं

जो प्राणियों पर दया नहीं करता और उनके साथ बुरा व्यवहार करता है वह भी नरक जाता है । जो व्यक्ति नियमों को स्वीकार करने के बाद उन्हें त्याग देता है वह भी नरक जाता है ।

जो विवाह को नष्ट करते हैं, देव यात्रा में विघ्न डालते हैं, तीर्थ यात्रियों को लूटते हैं वे सभी नरक जाते हैं ।

जो महा पापी गांव या जंगल में आग लगाता है यमदूत उसे नरक में पकाते हैं । इस तरह जलता हुआ वह पापी छाया की याचना करता है तब यमदूत उसे नुकीले पत्तों से बने एक वन में ले जाकर उसके अंगों को पत्तों से काटते हैं और उसे कहते हैं कि हे पापी अब तुम इस नुकीले पत्तों वाले बृक्षों की छाया मे चैन की नींद सो सकते हो ।

जब वह प्यास से व्याकुल होकर पानी मांगता है तब यमदूत उसे खोलता हुआ तेल पिलाते हैं और उसने कहते हें कि लो पानी पी लो और खाना खाओ । खौलता तेल पीने से उनकी आंतें जल जाती हें और वे जमीन पर गिर जाते हें । फिर दोबारा खड़े होकर वे कुछ कहना चाहते हें लेकिन कुछ बोल नहीं पाते ।

इस प्रकार पापियों को बहुत सी यातना दी जाती हैं और इस प्रकार पापी हजारों नारकीय यातनाओं को भोगते रहते हें और जब उनके पाप खत्म हो जाते हैं तो वे इस मृत्युलोक पर आकर स्थावर ( पेड़ पौधे ) की योनि को प्राप्त करते हैं । इन सभी योनियों मे घूमते हुए जीव मनुष्य योनि प्राप्त करते हैं और नरक आये हुए जीव चांडाल के घर में जन्म लेते हैं । मृत्युलोक पर भी नरक से आये जीव बहुत दुखी रहते हैं, किसी को गलित कुष्ठ हो जाता है, कोई जन्म से अंधे होते हैं ।

किस पाप के कारण कौन सा रोग होता है

पतिव्रता स्त्री की हत्या करने वाला और गर्भपात कराने वाला कुष्ठ रोगी पैदा होता है । पर स्त्री गमन करने वाला नपुंसक और गुरुपत्नी के साथ गमन करने वाला चर्मरोगी होता है । मांस का भोजन करने वाले के अंग अत्यंत लाल होते हैं । मदिरा पीने वाला वाले के दांत काले होते हें । योग्य शिष्य को प्रशिक्षण न देने वाला ब्राह्मण बहुत रोगों से पीड़ित होता है । जो दूसरे को दिए बिना मिष्ठान खाता है उसे गले में गण्डमाला रोग होता है ।

शास्त्र की निंदा करने वाला पाण्डुरोगी होता है । झूठी गवाही देने वाला गूंगा । पुस्तक चुराने वाला अंधा होता है, गाय और ब्राह्मणों को पैर से मारने वाला लंगड़ा होता है । झूठ बोलने वाला हकला कर बात करने वाला होता है और झूठी बात सुनने वाला बहरा होता है ।

दान ना देने वाला और आग लगाने वाला गंजा होता है । रत्नों का अपहरण करने वाला नीच जाती मे पैदा होता है । सोना चुराने वाला नखरोगी होता है अन्य धातुओं को चुराने वाला निर्धन होता है । इत्र आदि सुगंध वाली वस्तुओं को चुराने वाला डांस बनता है ।

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नरक से निकलने के बाद किस पाप के कारण कौन सी योनि मिलती है

फल और फूलों की चोरी करने वाला बंदर बनता है जूता या घास चुराने वाला भेड़ियों की योनियों में उत्पन्न होता है । मार्ग में लोगों को जो लूटता है या आखेटक का व्यवसाय करता है वह कसाई के घर बकरा बनता है ।

विश का व्यापार करने वाला पर्वत पर काला नाग बनता है । जिसका स्वभाव मर्यादा से रहित है वह निर्जन वन में हाथी बनता है । वह व्यक्ति जो बिना बिना परिक्षण के भोजन को खा लेते हैं वे निर्जन वन में व्याघ्र बनते हैं ।

जिनकी यज्ञ करने की योग्यता नहीं है उनके यहाँ यज्ञ कराने वाला ब्राह्मण सूअर बनता है । बिना आमंत्रण के भोजन करने वाला कौवा बनता है । जो योग्य शिक्षकों को शिक्षा नहीं देता वह ब्राह्मण बैल बनता है । वास्तविक गुरु की सेवा नहीं करने वाला बैल और गधा बनता है । जो व्यक्ति वास्तविक और सच्चे गुरु से वाद विवाद करता है और उनका अपमान करता है वह ब्रह्मराक्षस बनता है ।

प्रतिज्ञा करके दान ना देने वाला और सज्जन पुरुषों का अनादर करने वाला पर्वतों पर गिद्ध बनता है । व्यवसाय में धोखा देने वाला उल्लू बनता है । वर्णाश्रम की निंदा करने वाला कुकुर बनता है । आशा को तोड़ने वाला, स्नेह को नष्ट करने वाला और स्त्री का परित्याग करने वाला शकूर बनता है । माता पिता से द्वेष करने वाला तथा बहन भाई से शत्रुता करने वाला हजारों जनमों तक गर्भ में नष्ट होता रहता है । कलह करने वाली स्त्री जल जोंक बनती है और पति की निंदा करने वाली स्त्री जूं बनती है ।

अपने पति का परित्याग करके पर पुरुष का सेवन करने वालों स्त्री छिपकली बनती है ।

अपने गोत्र की स्त्री से संबंध बनाने वाला लकड़बग्घा और रीछ की योनि में जन्म लेता है । तपस्विनी के साथ व्यभिचार करने वाला पिसाच बनता है । गुरु पत्नी से गमन की इच्छा रखने वाला गिरगिट बनता है । राजा की पत्नी के साथ गमन करने वाला ऊंट तथा मित्र की पत्नी के साथ गमन करने वाला गधा बनता है ।

गुदा गमन करने वाला सूकर और बैल बनता है । जो महाकामी होता है वह घोड़ा बनता है । ब्रह्महत्यारा गधा और ऊंट की योनि प्राप्त करता है और मदिरा पीने वाला भेड़िया, कुत्ता एवं शियार की योनि में जन्म लेता है । सोना चुराने वाला कीड़ा या पतंग की योनि प्राप्त करता है । पर स्त्री का हरण करने वाला, धरोहर का हरण करने वाला, ब्राह्मण का धन हरने वाला ब्रह्मराक्षस होता है ।

यहां तक कि लोहे के या पत्थर के चूर्ण को व्यत्कि पचा सकता है पर तीनों लोकों में कौन ऐसा व्यक्ति है जो ब्राह्मण के धन को पचा सकता है । ब्राह्मण के धन से पोषित की गई सेना और वहां युद्ध काल में मिट्टी के समान बिखर जाते हैं ब्राह्मण का धन हरण करने से कुलपति नष्ट हो जाते हैं ।

जो अपने द्वारा या दूसरे के द्वारा दान दी गयी पृथ्वी को छीन लेता है वह 60000 वर्षों तक विष्ठा का कीड़ा बनता है । जो स्वयं ही कुछ दान देकर उसे वापस ले लेता है वह कल्पों तक नरक में रहता है । जीविका अथवा भूमिका दान देकर जो उसे वापिस हर लेता है वह अपंग कुत्ता बनता है ।

ब्राह्मणों को जीविका देने वाला व्यक्ति एक लाख गो दान का फल प्राप्त करता है और वहीं पर ब्राह्मण की संपत्ति का हरण करने वाला बंदर कुत्ता या लंगूर बनता है ।

भगवान की माया से प्राणी ऊपर और नीचे के लोकों में भ्रमण करते रहते हैं

व्यक्ति के शरीर पर पाप के कुछ चिन्ह रह जाते हैं जैसे कोई शारीरिक या मानसिक रोग जिससे पता चलता है कि वह नरक से आया हुआ है । नरक से निकलने के बाद जीव हजारों जन्म तक पशु पक्षी का शरीर प्राप्त करता है । पक्षी बनकर वह वर्षा, ठंड और धूप से पीड़ित होता है और पशु योनि में उसे बोझा ढोने पर दुःख प्राप्त होता है । इसके बाद अंत में जब पाप और पुण्य बराबर हो जाते हैं तब उसे मनुष्य योनि मिलती है ।

इस प्रकार सभी प्राणी जन्म और मरण के चक्कर में पड़े रहते हैं और भगवान की माया से प्राणी ऊपर और नीचे के लोकों में भ्रमण करते रहते हैं । कर्मपास से बंधे रह कर कभी नरकों में, कभी भूमि पर और कभी ऊपर के लोकों में जन्म लेते रहते हैं ।

दान नहीं देने के कारण प्राणी दरिद्र हो जाता है और दरिद्र होने हो जाने पर फिर दोबारा पाप करता है । पाप के प्रभाव से नरक को जाता है और नरक से लौटकर दरिद्र पैदा होता है । प्राणियों के द्वारा किए गए शुभ और अशुभ कर्मफल उन्हें अवश्य ही भोगने होते हैं क्योंकि सैकड़ों कल्पों के बीत जाने पर भी बिना भोगे कर्मफल का नाश नहीं होता ।

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