मोक्ष पाना मुश्किल है सरल
मोक्ष के संदर्भ में आपको एक कथा बतलाते हैं । विदेश में एक बहुत ही बड़े दार्शनिक हुए जिनका नाम था नागार्जुन । नागार्जुन के एक शिष्य एक दिन उनके पास आए और शिष्य ने कहा कि मुझे मोक्ष चाहिए आप बताइए केसे मिलेगा ।
नागार्जुन ने कहा कि आप क्या कर सकते हैं मोक्ष पाने के लिए । शिष्य ने कहा कि कुछ भी कर लूंगा लेकिन मोक्ष चाहिए । नागार्जुन ने शिष्य की परीक्षा लेने का विहार किया । उन्होंने देखा कि सामने एक भैंस खड़ी है । नागार्जुन ने शिस्य से कहा कि तुम उस गुफा में जाकर तीन दिन तक बिना कुछ खाए पिए भैंस का चिंतन करो । तुम अपने आप का एक भैंस के रूप में चिंतन करो ।
शिष्य ने ऐसा ही किया और गुफा के अंदर चला गया । वह हमेशा यही सोचने लगा कि वह भैंस है, उसके सींग हैं, उसकी एक पूंछ है । बहुत दिनों तक जब व्यक्ति सोता नहीं है तो सपने उसके ऊपर हावी हो जाते हैं और यह तो तीन दिन से कुछ खाया पिया भी नहीं था ।
तीन दिन बाद जब वह गुफा से बाहर निकलना चाह रहा था तब उसे दिखा कि उसके सींग गुफा में फस रहे हैं और वह बाहर नहीं निकल पा रहा । उसने सोचा कि उसे मदद की जरूरत है इसलिए उसे किसी से मदद मांगने चाहिए । उसने मदद मांगते हुए बोला कि कोई यह गुफा तोड़ दो और मुझे बाहर निकलो तो उसने पाया कि आवाज भी भैंस की ही निकल रही थी । नागार्जुन भैंस की आवाज सुनकर समझ गए और शिष्य के पास आ गए । उन्होंने शिष्य से कहा कि बाहर निकलो, जब शिष्य को होश में लाकर नागार्जुन ने कहा कि तुम कोई भैंस नहीं हो एक आदमी हो तब जाकर उसे होश आया और वह गुफा से बाहर निकल आया ।
भगवान को पाना मुश्किल नहीं
नागार्जुन ने कहा कि जब तीन दिन की विचार धारा से एक मनुष्य अपने आप को भैंस मानने लगा तो अगर आप 2 से 4 साल किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करो तो उसे अवश्य ही पा लोगे भले ही वह मोक्ष ही क्यों ना हो । इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं है, तुम कुछ करना नहीं चाहते, तुम आलसी हो इसलिए ऐसा कह रहे हो । मोक्ष पाना भी मुश्किल नहीं है अगर तुम उसके लिए सही तरीके से प्रयास किया जाए तो ।
बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने कहा है कि जब एक छोटे से ग्राम गड़ा के एक छोटे से गरीब ब्राह्मण के परिवार का एक नालायक निकम्मा बेटा जब गुरु कृपा से लंदन तक जा सकता है तो क्या तुम भारत में भी भ्रमण नहीं कर सकते । इसी तरह । महाराज धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि मुश्किल कुछ नहीं है, मुश्किल मात्र एक शब्द है ।
बिहार के दशरथ मांझी ने जब पहाड़ को काट दिया अपने गांव ले पानी लाने के लिए तो तुम भगवान की कृपा से और गुरु की कृपा से क्या नहीं कर सकते । महाराज धीरेंद्र शास्त्री जी कहना है कि मुश्किल और नामुमकिन जैसे शब्द एक बहाना हैं कामचोरी और आलस को छुपाने के । भगवान को पाना भी मुश्किल नहीं है । महराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का कहना है कि मुश्किल जीवन में कुछ भी नहीं है यह केवल शब्द ही है ।