मनुष्य को कौन से दुःख भोगने पड़ते हैं? यह तो हम जानते ही हैं कि हर प्राणी को उसके कर्मो के अनुसार ही अगला जन्म मिलता है और पाप के कारन ही व्यक्ति को दुःख मिलता है । चाहे कोई इंसान बने या फिर कोई जानवर या पक्षी, इसके पीछे उसके लिए उसके कर्म ही जिम्मेदार होते हैं । अपने वह कहावत जरूर सुनी होगी कि जो बोया सो पायेगा । इसका साफ़ साफ़ मतलब है कि मनुष्य जो भी कर्म करता है उसका फल उसे जरूर ही भुगतना पड़ता है ।
माँ के गर्भ में मनुष्य को कौन से दुःख भोगने पड़ते हैं?
आज के इस पोस्ट में हम चर्चा करेंगे कि मनुष्य को जन्म से मृत्यु तक कौन कौन से दुःख भोगने पड़ते हैं? मनुष्य जब माँ के गर्भ में आता है तो वह नबोध होता है । माँ के पेट में उल्टा लटका हुआ वह अनेक प्रकार के कीटों द्वारा दुःख पाता है ।
उसका नाजुक शरीर माँ के गर्भाशय के गर्म तापमान को झेल नहीं पाता । ऊपर से छोटे छोटे कीड़े उसे काटते रहते हैं । भगवत महापुराण में बताया गया है कि इस स्थिति में बच्चे को असहनीय पीड़ा होती है और वह भगवान से प्राथना करता है । गर्भ के अंदर शिशु को इतना तीव्र दुःख होता है कि कई बार तो वह बेहोश हो जाता है ।
भागवत में यह भी बताया गया है कि गर्भ के अंदर कुछ शिशुओं को उनके पिछले 100 जन्म तक याद आ जाते हैं । वह अपने पिछले जन्मों में किये गए पापों को याद करके रोने लगते हैं ।
गर्भ के अंदर जीव भगवान से प्राथना करता है कि उसे बहार निकालें और वह बहार जाकर भगवान की भक्ति करेगा । अगर बच्चे की माँ अधिक खट्टा या अधिक मीठा भोजन करती है तो गर्भ में पल रहे शिशु को इससे पीड़ा पहुँचती है ।
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युवावस्था में मनुष्य को कौन से दुःख भोगने पड़ते हैं?
गर्भ से निकलने के बाद शिशु भगवान की माया के प्रभाव में आकर सब कुछ भूल जाता है । जैसे ही वह बड़ा होता है वह अपने आप को एक शरीर मान लेता है । थोड़ा बड़ा हो जाने पर वह स्कूल नहीं जाने के लिए रोता है परन्तु उसे जबरदस्ती स्कूल भेजा जाता है ।
स्कूल जाने के बाद उसे कुछ नहीं आता और वह बहुत मेहनत करके सब कुछ सीखता है । जैसे ही वह बोर्ड की परीक्षा में पास हो जाता है उसे आगे की पढ़ाई करने के लिए college में admission लेना पड़ता है ।
जैसे ही वह college से degree ले लेता है वह जगह जगह जाकर नौकरी की तलाश करता है । नौकरी मिल जाने पर वह सुबह से शाम तक काम करता रहता है । इसी बीच उसकी शादी हो जाती है और अगर वह भाग्यशाली रहा तो बैवाहिक जीवन के सुखों का भोग करता है । यह सबके साथ नहीं होता क्यूंकि कुछ लोगों की तो शादी भी टूट जाती है और उनका तलाख हो जाता है ।
बृद्ध अवस्था में मनुष्य को कौन से दुःख भोगने पड़ते हैं?
इस तरह सारी जवानी काम करते हुए बिता देने के बाद वह बूढ़ा हो जाता है । बुढ़ापे में उसका शरीर सही से काम नहीं करता और उसे ठीक से सुनाई नहीं देता । अगर उसके बेटे की पत्नी ठीक हुयी तो वह उसकी सेवा करती है नहीं तो हमेशा ताने देती रहती है । पत्नी के दबाव में आकर उसका बेटा भी उसे बृद्ध आश्रम में छोड़ देता है ।
बृद्ध अवस्था में बीमाइयाँ भी बहुत जल्दी घेर लेती हैं । तरह तरह के रोग बूढ़े आदमी को अपना शिकार बना लेते हैं । इस तरह बृद्ध अवस्था के दुखों को भोगने के बाद वह एक दिन मर जाता है ।
भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता में बताते हैं कि मरने के बाद जीव का फिसरे जन्म होता है । लेकिन जरूरी नहीं कि मरने वाले को इंसान का शरीर ही मिले । 84 लाख योनियों में से कोई भी शरीर एक जीव आत्मा को मिल सकता है । आप तो जानते ही हैं कि जब मनुष्य जीवन में भी दुःख भोगने पड़ते हैं तो फिर अन्य योनियों की क्या ही कहें । इसी के साथ लेख विराम करते हैं ।
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