अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है
मित्रो आप ने भी देखा होगा कि पूजा पाठ और धर्म कर्म करने वाले लोगों की जिंदगी बुरे कर्म करने वालों की तुलना में काफी कठिन होती है । आप ने यह जरूर सोचा होगा तो चलिए आपको इसका रहस्य बताते हैं ।
चलिए आपको पुराणों में वर्णित एक कथा सुनते हैं जिसके माध्यम से आप समझ पाएंगे कि हर प्राणी को उसके कर्म के अनुसार ही फल मिलता है । अगर कोई अच्छा कर्म करता है तो उसे अच्छा फल मिलता है और अगर कोई बुरा कर्म करता है तो उससे उसे दुःख मिलता है ।
श्री कृष्ण ने कहा कि एक गाँव में दो आदमी रहा करते थे । उनमे से एक बड़ा ही धार्मिक था और रोज मंदिर जाया करता था और भगवान की पूजा किया करता था । लेकिन दूसरा आदमी नास्तिक था और वह भी रोज मंदिर जाया करता था और वह वहां से जूते चप्पल और दाल पति से धन चुराया करता था ।
एक दिन उस गाँव में बहुत जोर की बारिश हो रही थी और उस वक्त मदिर में पुजारी के अलावा और कोई नहीं था । नास्तिक वाला आदमी मंदिर गया और उसने तुरंत ही सारा धन चुरा लिया और वहां से चला गया । उसी समय आस्तिक वाला आदमी भी मंदिर गया और भगवान की पूजा करने लगा ।
उसी समय मंदिर के पुजारी ने उसे देख लिया और उसे ही चोर समझ लिया । गाँव के बाकी लोग भी आ गए जिनसे बचकर वह भागने लगा । रास्ते में वह एक वहां से टकरा गया और घायल हो गया । आस्तिक आदमी को वह व्यक्ति मिला जिसने मंदिर में चोरी की थी ।
करोणों कल्प बीत जाने पर भी पाप कर्म का बिना भोगे हुए नाश नहीं होता
कुछ समय बाद दोनों व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी और वहां पर आस्तिक व्यक्ति ने यमराज से पुछा कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ । यमराज ने उस बताया कि जिस दिन तुमपर झूठा आरोप लगाया गया उस दिन तुम्हारे जीवन का अंत होना था लेकिन तुम्हारे द्वारा किये गए अच्छे कर्मों के कारण तुम बच गए ।
यमराज ने कहा कि दूसरी ओर उस व्यक्ति के भाग्य में एक राजा बनना लिखा था लेकिन उकसे द्वारा किये गए पाप कर्मों के कारण वह एक मामूली चोर बनकर रह गया ।
मित्रो दूसरी और शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि करोणों कल्प बीत जाने पर भी पाप कर्म का बिना भोगे हुए नाश नहीं होता । इसलिए जो व्यक्ति पाप करता है वह हो सकता है कि आज खुश हो लेकिन उसे अपने पाप का फल कभी न कभी तो भुगतना हे पड़ता है ।
इसी प्रकार से एक कहानी यह भी है कि एक बहुत ही ज्यादा पापी व्यक्ति एक रास्ते से जा रहा था और उसे वहां बहुत सारा सोना मिल गया और जब उसी रास्ते से एक भला और धर्मात्मा व्यक्ति जा रहा था जिसे काँटा लग गया और वह जोर से जमीन पर गिर गया ।
वहां के कुछ लोगों ने सोचा कि यह तो बड़ा गलत हुआ और तब उन्होंने दोनों आदमियों की कुंडली ले जाकर एक पंडित को दिखाई । पंडित जी ने बताया कि वह जो पापी व्यक्ति है उसके भाग्य में राजा बनना लिखा था लेकिन उसके द्वारा किये गए पाप के कारण अब उसे इतना सोना ही केवल मिल पाया है ।
वहीँ दूसरी ओर उस भले और धर्मात्मा व्यक्ति के जीवन का आज आखिरी दिन था लेकिन उसके द्वारा किये गए अच्छे कर्मों के कारण उसे केवल एक काँटा ही लगा और वह बच गया ।
क्या अच्छे कर्म करके बुरे कर्मो के फल से बचा जा सकता है
शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे कर्मों के फल जरूर ही भुगतने पड़ते हैं । अच्छा कर्म करने से अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्म करने से बुरा फल मिलता है । हमें अच्छे और बुरे दोनों कर्मों के के फल भोगने पड़ते हैं ।
भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण बताते हैं कि कर्म की गति को समझना आसान नहीं है । इसका मतलब यह है कि यह समझना बड़ा ही मुश्किल है कि हमने कौन से जन्म में कौन से कर्म किये हैं और कौन से जन्म में हमें उसका फल मिलेगा ।
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हो सकता है जिस पाप के कारण आज आपके साथ बहुत बुरा हुआ वह आपने हजारों जन्मों पहले किया हो । इसके अलावा हो सकता है आपने कोई पाप अनजाने में किया हो जिसके बारे में आपको कुछ पता ही न हो ।
क्या धोखे से किये गए पाप कर्म का फल मिलता है
कर्म का सिद्धांत अचूक है । अगर आप कोई गलत कर्म करते हैं तो आपको उसका फल जरूर मिलता है चाहे आप उसे जान भूझकर करें या अनजाने में
शास्त्रों में एक बहुत ही अच्छा उदहारण देखने को मिलता है जो यह है कि अगर आप आग को अनजाने में छुए तब भी आपका हाथ तो जलेगा ही ।
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शास्त्रों में ऐसी कई कहानियां हैं जिनसे यह मालूम होता है कि अनजाने में किये गए पाप का फल भी लोगों को मिला । एक कहानी है पांडवों के पिता महाराज पाण्डु की जिन्होंने एक हिरण को तीर मार दिया । वे उस वक्त नहीं जानते थे कि एक ऋषि ने हिरण का रूप लिया हुआ है और ऋषि ने उनको श्राप दे दिया जिसके कारण आगे चलके उनकी मृत्यु हो गयी ।
सह्स्त्रोँ के अनुसार क्षत्रिय राजाओं को शिकार करने की छूट है और हिरण को मारना कोई पाप नहीं था लकिन पाण्डु यह नहीं जानते थे कि हिरण के रूप में वे एक ऋषि हैं जिनके कारण उन्हें इतना भयंकर श्राप मिला कि उनकी मृत्यु हो गयी ।
पाप से बचने का उपाय क्या है
वैसे तो भगवान श्रीमद्भगवद्गीता में बताते हैं कि कर्म और उसके फलों को समझ पाना बहुत ही ज्यादा कठिन है और व्यक्ति को उसके कर्मों के फल अवश्य मिलते हैं । अगर कोई पाप कर्म करता है तो उसे उसका फल अवश्य भोगना पड़ता है लेकिन भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 में कहते हैं कि सारे धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ और में तुम्हें सारे पापों से मुक्त कर दूंगा ।