शबरी की नवधा भक्ति

माता शबरी और भगवान राम का मिलन

शबरी जी रोज महात्माओं के आश्रम में झाड़ू लगा देती थीं । एक दिन महात्माओं ने रात को एक ब्रह्मचारी बालक ने शबरी माता को पकड़ लिया और कहा कि तुम कौन हो और यहां झाड़ू पोछा क्यों करती हो । उन्होंने कहा कि में तो संतो की की करती हूं ।

ब्रह्मचारी ने कहा कि तो सामने आओ । शबरी जी ने कहा कि में एक नीच जाती की हूँ और अगर कोई देख लेगा तो हंगामा हो जायेगा । माता वहां से चली गयीं और वन में रहने लगीं । माता पूरे दिन पेड़ों पर छुपकर रहती थीं । माता मुनि मतंग ऋषि के सामने छुपकर रहती थीं । माता शबरी रात को छुपकर संतों के आश्रम में झाड़ू पोछा कर देतीं और हवन के लिए लकड़ी इकठ्ठा कर देतीं थीं ।

शबरी माता मतंग मुनि के आश्रम में कैसे गयीं

एक दिन मतंग मुनि ने शबरी जी को देख लिया और कहा कि आज से तुम हमारी ही बेटी हो । माता ने काह कि अगर आप मुझे अपनी बेटी कहेंगे तो बाकी महात्मा आपको बी अस्वीकार कर देंगे । ऋषि ने कहा कि बेटी तुम कोई साधारण बेटी नहीं हो एक दिन ऐसा होगा कि भगवान श्री राम तुम्हारा मान बढ़ाने के लिए यहाँ आएंगे ।

माता शबरी को मतंग मुनि ने अपने आश्रम में रख लिया । बहुत दिनों तक माता वहीँ रहीं और एक दिन मतंग मुनि का जाने का समय आ गया । मतंग मुनि ने माता को बताया कि अब हमारी उम्र हो चुकी है । मतंग मुनि ने माता को वचन दिया कि राम जी तुम्हारी रक्षा करेंगे और तुम्हें राम जी को नहीं ढूंढ़ना पड़ेगा एक दिन राम जी तुम्हें ढूँढ़ते हुए यहाँ आएंगे । इतना कहकर मतंग मुनि ने अपने प्राण त्याग दिए ।

माता शबरी की राम भक्ति

माता ने सोचा कि ऐसा ना हो कि आज ही राम जी आ जाएं और इस तरह माता रोज रास्ता साफ़ करने लगीं और इस तरह 10 हजार वर्षों तक शबरी माता ने राम जी का इंतजार किया । उस वन में बड़े बड़े महात्मा थे और उनमें से कुछ केवल जल ही पीते थे । उनको लगता था कि सबसे पहले राम जी मुझसे मिलने आएंगे । कुछ फलाहारी थे जो केवल एक फल ही खाते थे जिनको लगता था कि राम जी हमसे मिलने आएंगे ।

कुछ केवल दूध पीकर रहने वाले थे जिनको लगता था कि राम जी सबसे पहले मुझसे मिलने ही आएंगे । एक महात्मा और थे जो केवल पत्ते खाकर रहते थे जिनको लगता था कि राम जी हमारे पास आएंगे क्यूंकि हमारी साधना सबसे कठोर है । एक महत्मा तो केवल हवा पर ही रहते थे जिनको लगता था कि राम जी केवल हमारे पास ही आएंगे ।

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माता शबरी रोज रास्ता साफ़ क्यों करती थीं

शबरी माता सोचती थीं कि में तो ऊँची जाती की नहीं और कोई कठोर साधना भी नहीं करि इसलिए राम जी मेरे पास तो नहीं आएंगे । लेकिन राम जी जाती नहीं देखते भाव देहते हैं इसलिए भगवान किसी भी महात्मा के पास ना जाकर माता शबरी के पास आये । महात्मा माता को हीं भाव से देखते थे । एक दिन माता अपनी झाड़ू से रास्ता साफ़ कर रहीं थीं कि यहाँ से राम जी आएंगे ।

शबरी जी रोज रास्ते से काँटों को साफ करती थे ताकि राम जी को कांटें ना लगें । एक दिन माता रास्ता साफ कर रहीं थीं और एक महात्मा स्नान करके आ रहे थे । महात्मा को झाड़ू लग गयी और महात्मा माता को उल्हाना सुना कर जल में नहाने गए । जैसे ही महात्मा जल में नहाने गए तो भक्त का अपराध करने के कारण उस जल में कीड़े पड़ गए ।

राम जी वन में सबसे पहले किसके पास गए

जब राम जी वन में आये तो किसी भी महात्मा के पास नहीं गए वल्कि एक महात्मा के पास जाकर उन्होंने पुछा कि शबरी माता का घर कहाँ है । महात्मा को जलन हो गयी और उन्होंने कहा कि आप पता क्यों पूछ रहे हो आप तो भगवान हो आपको सब कुछ पता है । आगे जाएये आगे ही कहीं आपको आश्रम मिल जायेगा ।

जैसे ही राम जी माता के पास गए तो वे राम जी को देख कर चुप गयीं । किसी ने पुछा कि आप चुप क्यों गयीं तो उन्होंने कहा कि में दीं हीं हूँ जाती की शबर हूँ कहीं राम जी मुझे देख कर भाग ना जाएं । राम जी माता को वापिस बुलाते हैं । शबरी माता के गुरु जी ने राम भगवान को ऊपर से नीचे तक देखने लगीं कि जैसा रूप गुरु जी ने बताया था वैसा ही है या नहीं ।

महात्माओं ने कहा कि प्रभु जंगल में एक जलाशय है जिसमे कीड़े पड़ गए हैं । आपने अहिल्या को तारा है आप इस जलाशय को भी ठीक कर दीजिये । राम जी ने कहा कि जब हमने अहिल्या को तारा उस समय हमारे गुरु जी का बल लगा था अभी तो हम अकेले हैं ।

शबरी माता की चरण राज से जलाशय के कीड़े खत्म हो गए

राम जी ने कहा कि आप सभी तो तपस्वी हैं आप क्यों नहीं जलाशय को ठीक करते । जैसे ही महात्माओं ने जलाशय में अपने पैर डाले तो कीड़े और बड़ गए । जैसे ही राम जी ने जलाशय में पैर डाले उसके कीड़े और बड़े हो गए । महात्माओं को लगा कि यह तो भगवान है ही नहीं लेकिन राम जी ने कहा कि पहले कारण जानो कि इस जलाशय में किस कारण कीड़े पड़े ।

महात्माओं ने बताया कि एक महत्मा को शबरी जी की झाड़ू लग गयी और उनके नहाने के बाद इसमें कीड़े पड़ गए । राम जी ने कहा कि माता शबरी के चरण जलाशय में पड़ जाएं तो इसके कीड़े चले जायेंगे । महात्माओं ने सोचा कि भगवान के चरणों से नहीं गए । शबरी जी को पता चला तो वहां से भाग गयीं लेकिन महात्माओं ने माता शबरी के चरणो की राज को जलाशय में डाला और उसके कीड़े नष्ट हो गए । जो भी माता शबरी की इस कथा को सुनता है वह कितना भी अभक्त क्यों ना हो भक्त बन जाता है ।

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