रुद्राक्ष वाले बाबा
रुद्राक्ष वाले बाबा ने कहा कि यह हिंदू राज्य था । उन्होंने कहा कि से भारत वर्ष की संस्कृति को वापिस चाहते हैं जो उनके राम राज्य में थी भले ही कोई इसे हिंदू राष्ट्र के रूप में देखे । रुद्राक्ष वाले बाबा ने शास्त्रर्थ की चुनौती दी ।
रामचरित मानस प्रत्येक प्राणी की रक्षा करता है । जब पूछा कि महाराज हमेशा परीक्षा हिंदुओं की ही क्यों होती है । रूकद्रक्ष वाले बाबा ने बोला की परीक्षा हमेशा सोने की होती है तांबे की नहीं होती । परेक्षा में हिंदू पास हों ऐसा महाराज जी का कहना है ।
महाराज जी से पूछा कि हिंदू राष्ट्र की मांग उठ रही है । महाराज ने कहा कि यह हिंदू राष्ट्र था और वे वही चाहते हैं जो राम राज्य में थी । भूत पिसाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावें । महाराज जी ने कहा कि 84 लाख प्रकार की योनिया होती हैं ।
महाराज जी से पूछा गया कि जो धीरेंद्र शास्त्री महाराज कर रहे हैं वह तो आम आदमी भी जादू टोना कर लेता है । महराज जी ने कहा कि भारत में व्यक्ति रक्षा करने के लिए पैदा होता है । धीरेंद्र शास्त्री अपनी विद्या का उपयोग धर्म की रक्षा करने के लिए कर रहे हैं ।
रुद्राक्ष वाले बाबा बोले धर्म परिवर्तन के खिलाफ
इसी तरह रुद्राक्ष वाले बाबा का कहना कि अगर कोई तबीज बांधकर धर्म पार्तिवर्तन करेगा तो हम भी झाड़ फूक करके धर्म परिवर्तन को रोकेंगे । रुद्राक्ष वाले बाबा ने अपने शरीर पर सवा 2 लाख से रुद्राक्ष पहन रखे हैं । बाबा जी का कहना है कि देश में सुख शांति रहे इसके लिए ही उन्होंने सवा दो लाख रुद्राक्ष पहन रखे हैं । महाराज जी का संकल्प था सवा लाख रुद्राक्ष पहनने का । महराज जी लगभग 45 किलो रुद्राक्ष का वजन सिर पर धारण कर रखा है । महाराज जी ने रुद्राक्ष की जैकेट भी पहन रखी है ।
21000 रुद्राक्ष के दानों की जैकेट पहन रखी है । महराज जी का योग एक प्रकार से हट योग ही है । महराज जी का कहना है कि विपक्ष का होना बहुत जरूरी हैं । हर कोई अपना कर्तव्य करता रहे ऐसा महाराज जी का कहना है ।
रुद्राक्ष वाले बाबा जी रुद्राक्ष को वहीं उतारते हैं जहां शिव जी का मंदिर होता है । महराज जी का कहना है कि भक्त गण उनको रुद्राक्ष की माला चढ़ा कर चले जाते हैं और महाराज जी वाह माला अपने सिर पर धारण कर लेते हैं ।
रुद्राक्ष वाले महाराज जी का कहना है कि 40 किलो माला का वजन धारण करना दुख दायक है लेकिन महाराज जी का कहना है कि साधु का काम है दुखों को सहते हुए प्रभु का भजन करना ।
रुद्राक्ष वाले बाबा का कहना है कि सभी संतो का लक्ष्य एक ही होता है
महाराज जी का कहना है कि एक समय ऐसा है जिस समय पांचों उंगली एक साथ होती हैं । वह समय है खाना खाने का समय । रुद्राक्ष वाले बाबा का कहना है कि सभी संतो का लक्ष्य होता है भगवान की भक्ति का प्रचार करना लेकिन उनके राते अलग अलग हो सकते हैं ।
रुद्राक्ष वाले बाबा का कहना है कि वे 2 साल के थे तभी से साधु बने हैं । महराज जी का कहना है उनकी दिनचर्या का ज्यादातर समय भगवान का भजन करते हुए निकलता है । महाराज जी का कहना है कि नागा साधुओं को 12 साल में एक बार उनको 1 बार परिवार से मिलने का मौका मिलता है ।
महाराज जी का कहना है कि भगवान की भक्ति करने में कोई भी दुख क्यों ना मिले साधु का काम है उसको सहन करते हुए भगवान की भक्ति करते रहना । महराज जी का कहना है कि हट योग करते समय भगवान के चरणों का ध्यान करते रहना चाहिए ।
महराज जी का कहना है कि वो सनातन धर्म के लिए ही जीते हैं । रुद्राक्ष वाले बाबा का कहना है कि भक्ति करने से क्या मिला है वो हम जानते हैं दुनिया थोड़ी जानती है । महराज जी ने 5 साल अग्नि तपस्या की है जिसमे जलती हुई अग्नि के बीच में बैठकर जप करना । रुद्राक्ष वाले बाबा जी का कहना है कि त्याग करना संत महापुरुषों का कर्तव्य है ।
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