भगवान राम के अवतार का पहला कारण
भगवान राम के अवतार के पहले कारण हैं जय और विजय । रामचरित मानस दोहा नंबर 121 के बाद की पहली चौपाई में आता है कि सनक, सनंदन, सनातन, सनद कुमार आए और भगवान के बैकुंठ लोक में प्रवेश करने लगे ।
वैकुंठ के द्वारपाल जय और विजय में उनको अंदर जाने से रोक दिया । कुमारों को क्रोध आ गया और उन्होंने श्राप दे दिया कि तुम दोनो तीन जन्मों तक राक्षस बनोगे । पहले जन्म में दोनो हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु बने, दूसरे जन्म में रावण और कुंबकर्ण बने । तीसरे जन्म में दंतवक्र शिशुपाल बने ।
दूसरा कारण
वृंदा के पति राक्षस जलंधर में इतना बाल था कि वह मर नहीं रहा था भले ही शिव जी ने उससे घनघोर युद्ध किया । पता चला कि वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण जलंधर मारा नहीं जा रहा । भगवान विष्णु ने वृंदा के साथ छल किया और जलंधर का रूप धारण किया ।
ऐसा करने से वृंदा का व्रत भंग हो गया और जलंधर मारा गया । वृंदा ने भगवान को श्राप दे दिया कि आपको पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ेगा और स्त्री के वियोग में दुखी रहना पड़ेगा । वहीं जलंधर रावण बना ।
भगवान के जन्म का तीसरा कारण
शिव जी ने पार्वती माता को बताया कि आपके गुरु नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया । भगवान राम के अवतार का तीसरा कारण है कि एक बार नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था कि तुम्हें पृथ्वी पर जन्म लेकर स्त्री के वियोग में रहना पड़ेगा । एक बार नारद जी हिमालय में घूमने गए । परम सुहावन आश्रम देखकर नारद जी के मन में प्रभु की भक्ति जागने लगी ।
नारद जी ध्यान में बैठ गए और भक्ति करने लगे । इंद्र को दर लगने लगा और उन्होंने कामदेव को भेजा । कामदेव की नारद मुनि के ऊपर कोई काला नहीं चली । नारद जी को लगा कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया और उनमें अभिमान आ गया ।
नारद जी भगवान विष्णु के पास गए और उन्होंने अपनी कहानी सुनाई कि कैसे उन्होंने कामदेव को जीत लिया । भगवान ने माया से एक नगरी रची और उसमे एक सुंदर कन्या को रचा । नारद जी कन्या को देखकर मोहित हो गए ।
नारद जी ने भगवान विष्णु से उनका रूप उधार मांगा ताकि वे कन्या से विवाह कर सकें । भगवान विष्णु ने नारद जी के अपना सारा शरीर दे दिया लेकिन मुख बंदर का दे दिया । नारद जी की स्वयंवर में बेज्जती हो गई और इसलिए उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया कि किस प्रकार मेरी जगत में हंसी करवाई इसी तरह नारी के कारण आपको भी एक अवतार लेना पड़ेगा और दुखी रहना पड़ेगा ।
बादमे जब भगवान की माया शांत हुई तो नारद जी को बड़ा दुख हुआ और उन्होंने भगवान से क्षमा मांगी ।
चौथा कारण
स्वयंभू मनु और सतरूपा ने तपस्या की थी कि वे भगवान राम को अपने पुत्र के रूप में लाना चाहते हैं । पांचवा कारण है प्रतापभानु नाम का राजा जिसे ब्राह्मणों ने श्राप दिया । ब्राह्मणों ने इसे श्राप दे दिया कि तुम्हें असुर देह मिलेगी । भगवान राम यज्ञ से प्रकट हुए और जब तक यज्ञ नहीं हुआ तब तक भगवान प्रकट नहीं हुए ।
यज्ञ का जीवन में बहुत बड़ी महिमा है । भगवान के नाम का जप सबसे बड़ा यज्ञ है जिसके करने से भगवान हमारे जीवन में प्रकट होंगे ।
यह भी पड़ें – नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया